Tuesday, November 16, 2010

Phalit Jyotish(GHAR BAITHE JANE APANE GRAHO KA HAL AUR SAMADHAN)

आदि कल से मानव के लिए ग्रह ,नक्षत्र ,तारे ,सूर्य ,चन्द्रमा की दिशाए व गति कौतुहल और अन्वेषण का विषय रहा है और मानव इसके ऊपर हजारो वर्षो से अध्ययन करता आ रहा है ज्योतिष विज्ञानं अपने में एक विस्तृत और गूढ़ विषय है जो हमें एन ग्रहों और नक्षत्रो के प्रभाव की जानकारी और उनसे होने वाले परेशानियों से सतर्क कराती रही है.वेदांग  ज्योतिष  के अनुसार नो ग्रहों को वर्णित किया गया है वे है -सूर्य ,चन्द्र ,बुध ,शुक्र ,मंगल ,वृहस्पति ,शनि ,रहू, केतु
यू तो फलादेश करते समय सभी नौ ग्रह महत्वपुर्ण होते हैं परन्तु लग्नेश (Lord of Ascendant) का विशेष महत्व है. प्रमुख ज्योतिष ग्रन्थो में कहा गया है कि केवल लग्नेश (Lagnesh) के बलवान होने पर कुण्डली में मौज़ूद कई दोषो का नाश हो जाता है.
नवग्रहो को हम तीन श्रेणियो में बांट सकते हैं, 
  • 1) मित्र ग्रह (Mitra Grah) 
  •  2) शत्रु ग्रह (Shatru Grah) और 
  • 3) तटस्थ ग्रह् (Neutral Grah). 
फलादेश करते समय कुण्डली में मित्र ग्रहो के बलवान होने पर व्यक्ति सुखमय, शत्रु ग्रहो के बलवान होने पर संघर्षमय तथा तटस्थ ग्रहो के प्रभावकारी होने पर मिला-जुला जीवन व्यतीत करता है. 

प्रत्येक लग्न के लिए कोइ न कोइ ग्रह भाग्यकारक (Bhagya Karak) होता है. इस ग्रह के बलवान होने पर मनुष्य भाग्य का शुभ फल प्राप्त करता है. परन्तु यदि किसी भी कारण से भाग्येश (Lord Of Furtune) ग्रहकमजोर हो जाता है तथा लग्नेश बलवान रहता है तो व्यक्ति अपने पुरुषार्थ द्वारा जीवन में सुखो को प्राप्त करता है. और यदि शत्रु ग्रह अपनी दृष्टि या उपस्थिति द्वारा व्यक्ति को पीडित करते है तो भी बलवान लग्नेशवाला व्यक्ति संघर्ष के पश्चात विजय प्राप्त करता है.
 तटस्थ ग्रह अपने स्वभाव के अनुरुप मिला-जुला फल प्रदान करते हैं. लग्नेश किस प्रकार बलवान होता है इसके लिए हमें कुण्डली में राशी, भाव, वर्गसारणी (Rashi, Bhav, Vargasarani) में लग्नेश की स्थिति,लग्नेश का षडबल (Shadhabala) एवं वर्षसारणी(Varshasarani) व गोचर(Transit) का विवेचन करना पडता है
विभिन्न ग्रहों के शांति उपाय :-

मंगल की शान्ति के उपाय

जन्म कुण्डली  में जब ग्रहों का शुभ फल प्राप्त न हो रहा हों या फिर पाप ग्रहों के प्रभाव में होने के कारण जब ग्रह व्यक्ति के लिये अनिष्ट  का कारण बन रहे हों तो ग्रहों से संबन्धित उपाय करने से व्यक्ति के कष्टों में कमी की संभावनाएं बनती है.
मंगल ग्रह के उपायों में हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है. यह पाठ करने पर मंगल ग्रह की शान्ति होती है 
तथा इसके अशुभ प्रभाव को दूर किया जा सकता है 
यह एक अचूक उपाय है ,कम से कम ११ बार प्रतिदिन प्रथम दिन से एक्तालिसवे दिन तक करनी चाहिए .
या फिर इस मंत्र का जप १०८ मनके वाले माला पर कम से कम एक माला रोज इकतालीस दिनों तक करे .

ॐ वक्रटुंडा महाकायः सूर्यकोटि समप्रभः ,निर्विघ्नं कुरु में देवः सर्वकर्येशु सर्वदा .
इस मंत्र के द्वारा पूजन करे
मंगल के उपायों कि श्रेणी में दूसरा  उपाय मंगल यन्त्र के द्वारा संभव है ,यन्त्र निर्माण मंगलवार के दिन करना शुभ रहता है.  मंगल यन्त्र के नौ खानों में निम्न अंक स्थापित किये जाते है.  मंगल यन्त्र निम्न प्रकार का होता है. मंगल यन्त्र की संख्याऔं का योग किसी भी प्रकार किया जाये 21 ही आता है 


3 comments:

  1. As with most other human endeavors, astrologers don't always keep it simple. There are so many choices for charting, so many techniques and pet theories that it can be difficult to thread your way through the labyrinth of possibilities. Of the people who do believe in Astrology both systems have their adherents, both have their detractors. Do we have a dilemma here? Is one system right and the other not? Are both right? A simple definition of the difference between the Sidereal and Tropical systems should help. talk to astrologer

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